गृहस्थ संत पंडित देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी ने देह त्यागी, सोमवार को कटनी में होगा अंतिम संस्कार


कटनी 17 मई।  गृहस्थ संत पंडित देवप्रभाकर शास्त्री दद्दाजी रविवार को ब्रम्हलीन हो गए। उन्होंने कटनी स्थित दद्दा आश्रम में रात 8.27 बजे देह त्यागी। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। उन्हें 8 मई को माइनर पैरालिसिस अटैक आने पर दिल्ली ले जाया गया था। शनिवार की शाम गंगाराम अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई। जिसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से जबलपुर होते हुए कटनी लाया गया था।दद्दाजी के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की है।


 


दद्दाजी के अस्वस्थ होने की जानकारी लगते ही रविवार को बड़ी संख्या में दद्दा शिष्य मंडल के सदस्य कटनी पहुंचे। इनमें फिल्म जगत की हस्तियों से लेकर राजनेता और अन्य लोग शामिल थे।फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा, राजपाल यादव एवं पदम सिंह ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, लखन घनघोरिया, संजय पाठक एवं अर्चना चिटनिस, मुख्यमंत्री की पत्नी साधनासिंह, विधायक रमेश मेदोला, गोपाल सिंह चौहान डग्गी राजा, आलोक चतुर्वेदी, नारायण त्रिपाठी, नीरज दीक्षित, प्रद्युम्न सिंह, मुन्ना राजा सहित बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर उनके दर्शन किए। दद्दा शिष्य मंडल के प्रवक्ता वीरेन्द्र गौर ने बताया सोमवार को कटनी स्थित दद्दा आश्रम में ही उनकी पार्थिव देह पंचतत्व में सर्मपित की जाएगी।


दमोह से द्ददाजी का गहरा लगाव रहा है। दमोह के पुरा पायरा में उनकी ससुराल थी और हटा रोड पर कुआंखेड़ा में उनके मामा का परिवार था। वर्तमान में प्रोफेसर कॉलोनी में उनके बड़े बेटे व्याख्यता डॉ. अनिल त्रिपाठी परिवार के साथ रहते हैं। रिटायर्ड पीटीआई और दद्दाजी के रिश्ते में मामा ने बताया कि दद्दा जी की पत्नी कुंती देवी का 29 मार्च को निधन हो गया था। लंबे समय से द्ददा जी दमोह नहीं आए। करीब दो साल से वे कटनी में अपने निवास पर थे, कटनी के कूड़ा गांव में भी दद्दा जी का आश्रम है, वहां पर भी उनका आना जाना था।


सनातन संस्कृति के इतिहास में दद्दा जी जैसे संत दुर्लभ


पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि आज परम पूज्य गृहस्थ संत श्री देव प्रभाकर जी शास्त्री जिन्हें हम सभी "दद्दा जी" के नाम से, प्रेम भाव से स्मरण करते थे, हमारे बीच नही रहें। अपने जीवन के 60 वर्ष उन्होंने गृहस्थ सन्त के रूप बितायें, जो कि सनातन संस्कृति के इतिहास में दुर्लभ है। पूज्य शास्त्री जी परम ज्ञानी, तपस्वी एवं सिद्ध पुरुष थे। उनका निधन सनातन धर्म अनुयायियों के पितृ पुरूष का प्रयाण है। वह साक्षात भगवत पुत्र थे।भार्गव ने कहा कि दद्दा जी वैसे तो वह परम शिव भक्त और कृष्ण भक्त होने के नाते स्वर्ग प्राप्ति के प्रथम अधिकारी हैं। भगवन चरणों में उनका स्थान चीर आरक्षित था। उनके सभी अनुयायियों को प्रभु यह गहन दुख सहने की शक्ति दे।